महान तपोनिष्ठ आदर्श चरित्र नायक, ऐतिहासिक एवं पौराणिक पात्र 'धर्नुधर वीर' के नाम पर एकलव्य विधि महाविद्यालय की स्थापना गुरूकुल की भाँति नगर के कोलाहल से दूर एकान्त-शान्त प्राकृतिक सुरम्य वातावरण में की गई, जिसका सर्वत्र स्वागत हुआ है।
विधि महाविद्यालय अपने शैशव के प्रथम सत्र में ही सुसज्जित भवन, छात्र-छात्राओं एवं शिक्षक-शिक्षिकाओं का सहयोग पाकर अपने को गौरवशाली मानता है। यह विधि महाविद्यालय एक उत्कृष्ठ शिक्षा केन्द्र बनने के लिए सदैव तत्पर रहेगा, साथ ही व्यवहारिक व वास्तविक शिक्षा द्वारा व्यक्ति व समाज की आवश्यकताओं को पूर्ण कर सकेगा।
मानव निर्माण करना शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य है, यह विधि महाविद्यालय इसी मानव निर्माण की शिक्षा व छात्र-छात्राओं के बौद्धिक विकास द्वारा विनम्रता व सदाचार के लक्ष्य को पाने का प्रयास करेगा।मुझे पूरा विश्वास है कि छात्र-छात्राएं, अभिभावक गण, शिक्षक-शिक्षिकाएं तथा प्रबन्ध तंत्र सभी मिलजुलकर एक ऐसी मिसाल कायम करेंगे, जिससे विधि महाविद्यालय के समक्ष महान वीर धनुर्धर एकलव्य का आदर्श क्रियान्वित हो सके।
नये सत्र के शुभारम्भ पर विधि महाविद्यालय के प्रबन्ध तंत्र के सचिव होने के नाते आप सबका स्वागत करती हूँ। साथ ही विधि महाविद्यालय परिवार के समस्त सम्मानित सदस्यों को हार्दिक शुभकामनाएं प्रेषित करती हूँ।
इस नए सत्र में परस्पर सहयोग से सृजनात्मक व रचनात्मक कार्यों की और अग्रसर होने का मैं आह्वान करती हूँ।
धन्यवाद!
प्राचार्य, एकलव्य विधि महाविद्यालय